पड़ा है दैर-ओ-काबा में ये कैसा ग़ुल ख़ुदा जाने By Sher << दस बजे रात को सो जाते हैं... ज़रा मौसम तो बदला है मगर ... >> पड़ा है दैर-ओ-काबा में ये कैसा ग़ुल ख़ुदा जाने कि वो पर्दा-नशीं बाहर न आ जाने न जा जाने Share on: