पढ़ते फिरेंगे गलियों में इन रेख़्तों को लोग By रेख़्ता, Sher << बज़्म-ए-साक़ी में रखा ज़ह... बाग़बाँ काटियो मत मौसम-ए-... >> पढ़ते फिरेंगे गलियों में इन रेख़्तों को लोग मुद्दत रहेंगी याद ये बातें हमारीयाँ Share on: