पा-ए-कूबाँ कोई ज़िंदाँ में नया है मजनूँ By Sher << मुस्कुराओ बहार के दिन हैं उस के अहद-ए-शबाब में जीना >> पा-ए-कूबाँ कोई ज़िंदाँ में नया है मजनूँ आती आवाज़-ए-सलासिल कभी ऐसी तो न थी Share on: