पैरों से बाँध लेता हूँ पिछली मसाफ़तें By Sher << हम भी दरिया हैं हमें अपना... ये जो चुपके से आए बैठे है... >> पैरों से बाँध लेता हूँ पिछली मसाफ़तें तन्हा किसी सफ़र पे निकलता नहीं हूँ मैं Share on: