पलट गईं जो निगाहें उन्हीं से शिकवा था By Sher << रंग तेरा उड़ा उड़ा सा है फलों के साथ कहीं घोंसले न... >> पलट गईं जो निगाहें उन्हीं से शिकवा था सो आज भी है मगर देर हो गई शायद Share on: