तमाम होश ज़ब्त इल्म मस्लहत के बा'द भी By Sher << हद से टकराती है जो शय वो ... नींद का काम गरचे आना है >> तमाम होश ज़ब्त इल्म मस्लहत के बा'द भी फिर इक ख़ता मैं कर गया था मा'ज़रत के बा'द भी Share on: