परी थी कोई छलावा थी या जवानी थी By Sher << पी कर दो घूँट देख ज़ाहिद पहुँचे उस को सलाम मेरा >> परी थी कोई छलावा थी या जवानी थी कहाँ ये हो गई चम्पत झलक दिखा के मुझे Share on: