पतंग उड़ाने से क्या मनअ कर सके ज़ाहिद By Sher << कहाँ मिलेगी भला इस सितमगर... है जिस की ठोकरों में आब-ए... >> पतंग उड़ाने से क्या मनअ कर सके ज़ाहिद कि उस की अपनी अबा में पतंग उड़ती है Share on: