फिर मसाइल के यज़ीद आए हैं बै'अत लेने By Sher << बस्ती में भी कुछ ऐसे अंधे... ज़ेर-ए-शमशीर-ए-सितम '... >> फिर मसाइल के यज़ीद आए हैं बै'अत लेने गर्म फिर मा'रका-ए-कर्ब-ओ-बला है मुझ में Share on: