पुरसान-ए-परेशानी-ए-इंसाँ नहीं कोई By Sher << दिल का सुकून रिज़्क़ के ह... आसमानों से ज़मीं की तरफ़ ... >> पुरसान-ए-परेशानी-ए-इंसाँ नहीं कोई क़िस्मत की गिरह नाख़ुन-ए-तदबीर से खोलो Share on: