पुर्सिश-ए-हाल पे है ख़ातिर-ए-जानाँ माइल By Sher << रात दिन नामा-ओ-पैग़ाम कहा... फिर और तग़ाफ़ुल का सबब क्... >> पुर्सिश-ए-हाल पे है ख़ातिर-ए-जानाँ माइल जुरअत-ए-कोशिश-ए-इज़हार कहाँ से लाऊँ Share on: