पुर्सिश-ए-हाल भी इतनी कि मैं कुछ कह न सकूँ By Sher << फिर जवानी है अभी कुछ है ल... उसी पेड़ के नीचे दफ़्न भी... >> पुर्सिश-ए-हाल भी इतनी कि मैं कुछ कह न सकूँ इस तकल्लुफ़ से करम हो तो सितम होता है Share on: