कम से कम रेत से आँखें तो बचेंगी 'क़ैसर' By Sher << उन का दरवाज़ा था मुझ से भ... ये कैसी वक़्त ने बदली है ... >> कम से कम रेत से आँखें तो बचेंगी 'क़ैसर' मैं हवाओं की तरफ़ पीठ किए बैठा हूँ Share on: