ऐसे में वो हों बाग़ हो साक़ी हो ऐ 'क़मर' By Sher << तुम्हें तुम्हारे अलावा भी... पुर्सिश-ए-हाल की फ़ुर्सत ... >> ऐसे में वो हों बाग़ हो साक़ी हो ऐ 'क़मर' लग जाएँ चार चाँद शब-ए-माहताब में Share on: