मुद्दतों बाद जो इस राह से गुज़रा हूँ 'क़मर' By Sher << साक़ी ओ वाइज़ में ज़िद है... मुझ में ख़ुद मेरी अदम-मौज... >> मुद्दतों बाद जो इस राह से गुज़रा हूँ 'क़मर' अहद-ए-रफ़्ता को बहुत याद किया है मैं ने Share on: