राह से दैर-ओ-हरम की है जो कू-ए-यार में By Sher << सर-ए-महशर अगर पुर्सिश हुई... ख़ुशनुमा मंज़र भी सब धुंध... >> राह से दैर-ओ-हरम की है जो कू-ए-यार में है वही दीं-दार गर कुफ़्फ़ार आता है नज़र Share on: