रास्ता सुनसान था तो मुड़ के देखा क्यूँ नहीं By Sher << कभी तो यूँ कि मकाँ के मकी... तुम ने लिक्खा है मिरे ख़त... >> रास्ता सुनसान था तो मुड़ के देखा क्यूँ नहीं मुझ को तन्हा देख कर उस ने पुकारा क्यूँ नहीं Share on: