रात बेचैन सी सर्दी में ठिठुरती है बहुत By Sher << सर जिस पे न झुक जाए उसे द... अब तो सन्नाटे भी अच्छे नह... >> रात बेचैन सी सर्दी में ठिठुरती है बहुत दिन भी हर रोज़ सुलगता है तिरी यादों से Share on: