रात को दिन से मिलाने की हवस थी हम को By Sher << ज़माना बर-सर-ए-आज़ार था म... किस लिए देखती हो आईना >> रात को दिन से मिलाने की हवस थी हम को काम अच्छा न था अंजाम भी अच्छा न हुआ Share on: