रब्त है हुस्न ओ इश्क़ में बाहम By Sher << दर-ओ-दीवार पे शक्लें सी ब... ये तो ऐ 'जावेद' ग... >> रब्त है हुस्न ओ इश्क़ में बाहम एक दरिया के दो किनारे हैं Share on: