रब्त है उस को ज़माने से बहुत सुनता हूँ By Sher << इक दाइमी सुकूँ की तमन्ना ... 'ग़ालिब'-ए-दाना स... >> रब्त है उस को ज़माने से बहुत सुनता हूँ कोई तरकीब करूँ मैं भी ज़माना हो जाऊँ Share on: