रफ़ाक़तों के नए ख़्वाब ख़ुशनुमा हैं मगर Admin खुशनुमा शायरी, Sher रफ़ाक़तों के नए ख़्वाब ख़ुशनुमा हैं मगर गुज़र चुका है तिरे ए'तिबार का मौसम Share on: