रहबर भी ये हमदम भी ये ग़म-ख़्वार हमारे By Sher << रहेगा क्यूँ कोई तर्ज़-ए-स... रह गए सब्हा ओ ज़ुन्नार के... >> रहबर भी ये हमदम भी ये ग़म-ख़्वार हमारे उस्ताद ये क़ौमों के हैं मे'मार हमारे Share on: