रहे क़फ़स ही में हम और चमन में फिर फिर कर By Sher << उम्मीद ओ यास की रुत आती ज... रात पड़े घर जाना है >> रहे क़फ़स ही में हम और चमन में फिर फिर कर हज़ार मर्तबा मौसम बहार का पहुँचा Share on: