रह-ए-हयात चमक उठ्ठे कहकशाँ की तरह By Sher << हम ने तो ख़ुद को भी मिटा ... देखा है जिस ने यार के रुख... >> रह-ए-हयात चमक उठ्ठे कहकशाँ की तरह अगर चराग़-ए-मोहब्बत कोई जला के चले Share on: