साथ 'ग़ालिब' के गई फ़िक्र की गहराई भी By Sher << कहना मजनूँ से कि कल तेरी ... ये भी हुआ कि दर न तिरा कर... >> साथ 'ग़ालिब' के गई फ़िक्र की गहराई भी और लहजा भी गया 'मीर-तक़ी-मीर' के साथ Share on: