रक़म करूँ भी तो कैसे मैं दास्तान-ए-वफ़ा By Sher << सुपुर्द-ए-आब यूँ ही तो नह... न जाने उस ने खुले आसमाँ म... >> रक़म करूँ भी तो कैसे मैं दास्तान-ए-वफ़ा हुरूफ़ फिरते हैं बेगाने मेरे काग़ज़ से Share on: