रंग दरकार थे हम को तिरी ख़ामोशी के By Sher << एक दीवार उठाने के लिए ज़माना आया कुछ ऐसा कि अब ... >> रंग दरकार थे हम को तिरी ख़ामोशी के एक आवाज़ की तस्वीर बनानी थी हमें Share on: