बअ'द-ए-फ़ना भी ख़ैर से तन्हा नहीं हैं हम By Sher << लगाया है दिल भी तो पत्थर ... फ़स्ल-ए-गुल आई उठा अब्र च... >> बअ'द-ए-फ़ना भी ख़ैर से तन्हा नहीं हैं हम बंदों से छुट गए तो फ़रिश्तों में आ मिले Share on: