रौशनी अब राह से भटका भी देती है मियाँ By Sher << दैर में का'बे में मयख... जा कर फ़ना के उस तरफ़ आसू... >> रौशनी अब राह से भटका भी देती है मियाँ उस की आँखों की चमक ने मुझ को बे-घर कर दिया Share on: