रौशनी फूट निकली मिसरों से By Sher << दीवारों से मिल कर रोना अच... सुनो कि अब हम गुलाब देंगे... >> रौशनी फूट निकली मिसरों से चाँद को जब ग़ज़ल में सोचा है rediance burst out of my verses when i potray the moon in my ghazals Share on: