रौशनी में तिरी रफ़्तार से करता हूँ सफ़र By Sher << दिल में रख ज़ख़्म-ए-नवा र... बुतान-ए-हिन्द मिरे दिल मे... >> रौशनी में तिरी रफ़्तार से करता हूँ सफ़र ज़िंदगी मुझ से कहीं तेज़ न चलने लग जाए Share on: