रवाँ-दवाँ है ज़िंदगी चराग़ के बग़ैर भी By Sher << आँखों में न ज़ुल्फ़ों में... इक वक़्त था कि दिल को सुक... >> रवाँ-दवाँ है ज़िंदगी चराग़ के बग़ैर भी है मेरे घर में रौशनी चराग़ के बग़ैर भी Share on: