रिफ़अत कभी किसी की गवारा यहाँ नहीं By Sher << क्या ख़बर थी सुब्ह हो जाए... कहाँ क़िस्मत में इस की फू... >> रिफ़अत कभी किसी की गवारा यहाँ नहीं जिस सर-ज़मीं के हम हैं वहाँ आसमाँ नहीं Share on: