रिश्तों का बोझ ढोना दिल दिल में कुढ़ते रहना By Sher << सहमा सहमा डरा सा रहता है नज़र तो आते हैं कमरों में... >> रिश्तों का बोझ ढोना दिल दिल में कुढ़ते रहना हम एक दूसरे पर एहसान हो गए हैं Share on: