रिश्तों की दलदल से कैसे निकलेंगे By Sher << ज़ुल्फ़ें इधर खुलीं अधर आ... क़फ़स भी है यहाँ सय्याद भ... >> रिश्तों की दलदल से कैसे निकलेंगे हर साज़िश के पीछे अपने निकलेंगे Share on: