रोएँ न अभी अहल-ए-नज़र हाल पे मेरे By Sher << बिछड़े लोगों से मुलाक़ात ... तर्क-ए-तअल्लुक़ात को इक ल... >> रोएँ न अभी अहल-ए-नज़र हाल पे मेरे होना है अभी मुझ को ख़राब और ज़ियादा Share on: