रोज़ उठ जाती है घर में कोई दीवार नई By Sher << आज आँसू तुम ने पोंछे भी त... है ख़ूब मंज़र-ए-चारागरी क... >> रोज़ उठ जाती है घर में कोई दीवार नई इस तरह तंग हुआ जाता है आँगन अपना Share on: