रोज़ा-दारान-ए-जुदाई कूँ ख़म-ए-अबरू-ए-यार By Sher << शैख़ कहता है बरहमन को बरह... वो साँप जिस ने मुझे आज तक... >> रोज़ा-दारान-ए-जुदाई कूँ ख़म-ए-अबरू-ए-यार माह-ए-ईद-ए-रमज़ां था मुझे मालूम न था Share on: