रोज़ी-रसाँ ख़ुदा है फ़िक्र-ए-मआश मत कर By Sher << सब लुटा इश्क़ के मैदान मे... नश्शे में जी चाहता है बोस... >> रोज़ी-रसाँ ख़ुदा है फ़िक्र-ए-मआश मत कर इस ख़ार का तू दिल में ख़ौफ-ए-ख़राश मत कर Share on: