रोज़ ओ शब फ़ुर्क़त-ए-जानाँ में बसर की हम ने By Sher << एक ही नद्दी के हैं ये दो ... वो पूछता था मिरी आँख भीगन... >> रोज़ ओ शब फ़ुर्क़त-ए-जानाँ में बसर की हम ने तुझ से कुछ काम न ऐ गर्दिश-ए-दौराँ निकला Share on: