रुस्वा हुए ज़लील हुए दर-ब-दर हुए By Sher << दलील-ए-ताबिश-ए-ईमाँ है कु... हम सूफ़ियों का दोनों तरफ़... >> रुस्वा हुए ज़लील हुए दर-ब-दर हुए हक़ बात लब पे आई तो हम बे-हुनर हुए Share on: