रूठने और मनाने के एहसास में है इक कैफ़-ओ-सुरूर By Sher << आओ हम हँसते उठें बज़्म-ए-... दिल में अपने आरज़ू सब कुछ... >> रूठने और मनाने के एहसास में है इक कैफ़-ओ-सुरूर मैं ने हमेशा उसे मनाया वो भी मुझे मनाए तो Share on: