दोनों हों कैसे एक जा 'मेहदी' सुरूर-ओ-सोज़-ए-दिल By Sher << ये सफ़र अपना कहीं जानिब-ए... मैं ऐसे हुस्न-ए-ज़न को ख़... >> दोनों हों कैसे एक जा 'मेहदी' सुरूर-ओ-सोज़-ए-दिल बर्क़-ए-निगाह-ए-नाज़ ने गिर के बता दिया कि यूँ Share on: