साँस लेने से भी भरता नहीं सीने का ख़ला By Sher << सुना है कानों के कच्चे हो... ऐ 'मुसहफ़ी' तुर्ब... >> साँस लेने से भी भरता नहीं सीने का ख़ला जाने क्या शय है जो बे-दख़्ल हुई है मुझ में Share on: