सब बिछड़े साथी मिल जाएँ मुरझाएँ चेहरे खिल जाएँ By Sher << आसमाँ ऐसा भी क्या ख़तरा थ... इस तरह हुस्न-ओ-मोहब्बत की... >> सब बिछड़े साथी मिल जाएँ मुरझाएँ चेहरे खिल जाएँ सब चाक दिलों के सिल जाएँ कोई ऐसा काम करो 'वाली' Share on: