सब दोस्त मस्लहत के दुकानों में बिक गए By Sher << नफ़रत से मोहब्बत को सहारे... अब मैं हुदूद-ए-होश-ओ-ख़िर... >> सब दोस्त मस्लहत के दुकानों में बिक गए दुश्मन तो पुर-ख़ुलूस अदावत में अब भी है Share on: