सब क़त्ल हो के तेरे मुक़ाबिल से आए हैं By Sher << सजाओ बज़्म ग़ज़ल गाओ जाम ... रक़्स-ए-मय तेज़ करो साज़ ... >> सब क़त्ल हो के तेरे मुक़ाबिल से आए हैं हम लोग सुर्ख़-रू हैं कि मंज़िल से आए हैं Share on: