सब ख़्वाब पुराने हैं हर चंद फ़साने हैं By Sher << इक सफ़ीना है तिरी याद अगर कौन आता है अयादत के लिए द... >> सब ख़्वाब पुराने हैं हर चंद फ़साने हैं हम रोज़ बसाते हैं आँखों में नई दुनिया Share on: