सब कुछ तो है क्या ढूँडती रहती हैं निगाहें By Sher << कलकत्ता में हर दम है '... कमरे वीराँ आँगन ख़ाली फिर... >> सब कुछ तो है क्या ढूँडती रहती हैं निगाहें क्या बात है मैं वक़्त पे घर क्यूँ नहीं जाता Share on: